Monday, October 12, 2009

गणेश पूजन से शांत करें वास्तुदोष


God Ganesh
ND
वास्तु पुरुष की प्रार्थना पर ब्रह्माजी ने वास्तुशास्त्र के नियमों की रचना की थी। इनकी अनदेखी करने पर उपयोगकर्ता की शारीरिक, मानसिक, आर्थिक हानि होना निश्चित रहता है। वास्तुदेवता की संतुष्टि गणेशजी की आराधना के बिना अकल्पनीय है। गणपतिजी का वंदन कर वास्तुदोषों को शांत किए जाने में किसी प्रकार का संदेह नहीं है।

- नियमित गणेशजी की आराधना से वास्तु दोष उत्पन्न होने की संभावना बहुत कम होती है।

- यदि घर के मुख्य द्वार पर एकदंत की प्रतिमा या चित्र लगाया गया हो तो उसके दूसरी तरफ ठीक उसी जगह पर दोनों गणेशजी की पीठ मिली रहे इस प्रकार से दूसरी प्रतिमा या चित्र लगाने से वास्तु दोषों का शमन होता है।

- भवन के जिस भाग में वास्तु दोष हो उस स्थान पर घी मिश्रित सिन्दूर से स्वस्तिक दीवार पर बनाने से वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है।

- घर या कार्यस्थल के किसी भी भाग में वक्रतुण्ड की प्रतिमा अथवा चित्र लगाए जा सकते हैं। किन्तु यह ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि किसी भी स्थिति में इनका मुँह दक्षिण दिशा या नैऋत्य कोण में नहीं होना चाहिए।


ND
- घर में बैठे हुए गणेशजी तथा कार्यस्थल पर खड़े गणपतिजी का चित्र लगाना चाहिए, किन्तु यह ध्यान रखें कि खड़े गणेशजी के दोनों पैर जमीन का स्पर्श करते हुए हों। इससे कार्य में स्थिरता आने की संभावना रहती है।

- भवन के ब्रह्म स्थान अर्थात केंद्र में, ईशान कोण एवं पूर्व दिशा में सुखकर्ता की मूर्ति अथवा चित्र लगाना शुभ रहता है। किन्तु टॉयलेट अथवा ऐसे स्थान पर गणेशजी का चित्र नहीं लगाना चाहिए जहाँ लोगों को थूकने आदि से रोकना हो। यह गणेशजी के चित्र का अपमान होगा।

- सुख, शांति, समृद्धि की चाह रखने वालों के लिए सफेद रंग के विनायक की मूर्ति, चित्र लगाना चाहिए।

- सर्व मंगल की कामना करने वालों के लिए सिन्दूरी रंग के गणपति की आराधना अनुकूल रहती है।

विघ्नहर्ता की मूर्ति अथवा चित्र में उनके बाएँ हाथ की और सूँड घुमी हुई हो इस बात का ध्यान रखना चाहिए। दाएँ हाथ की ओर घुमी हुई सूँड वाले गणेशजी हठी होते हैं तथा उनकी साधना-आराधना कठिन होती है। वे देर से भक्तों पर प्रसन्न होते हैं।

1 comment:

  1. देवताओं और संतों जो शरीर में आने के पांच तत्वों के शक्तिशाली प्रभाव के अधीन हैं. पृथ्वी तत्व की चुंबकीय शक्ति सीधे आत्मा को प्रभावित करता है. पृथ्वी, जल और अग्नि तत्व के pervassive प्रभाव दफन हो या बिजली की वस्तुओं, प्रदर्शन से पूरी तरह नहीं amelliorated हो सकता है 'Yantras और यज्ञों ".

    I wish to explain that the implication of Yantras' and Vaastu Pujas' are of no value.

    subir kumar datta

    ReplyDelete